जातिगत जनगणना क्या है और यह कैसे होती है?
भारत में जातीय जनगणना का इतिहास: केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को जनगणना के संबंध में एक महत्वपूर्ण घोषणा की। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि मोदी सरकार आगामी जनगणना के साथ जाति आधारित गणना भी करेगी। उन्होंने विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, पर आरोप लगाया कि वे जातीय मुद्दों को केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठाते हैं। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जातीय जनगणना से देश के सामाजिक ताने-बाने को कोई खतरा नहीं होगा।
जनगणना का महत्वजनगणना देश की जनसंख्या, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण चित्र प्रस्तुत करती है। यह गांवों और नगरों के स्तर पर आंकड़ों का एकमात्र स्रोत है, जिसका उपयोग नीतियों और योजनाओं के निर्माण में किया जाता है।
भारतीय जनगणना विश्व की सबसे बड़ी प्रशासनिक प्रक्रिया है। यह भारत की 16वीं निरंतर जनगणना होगी, जिसकी शुरुआत 1872 में हुई थी। स्वतंत्रता के बाद यह 8वीं जनगणना होगी। जनगणना संविधान की सातवीं अनुसूची में दर्ज है और इसका कानूनी आधार जनगणना अधिनियम, 1948 है।
डिजिटल जनगणना का आगाज़
इस बार जनगणना डेटा संग्रहण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन और कागजी फॉर्म दोनों का उपयोग किया जाएगा। यह एप्लिकेशन उपयोग में आसान और सुविधाजनक है, जिससे सभी गणनाकर्ता इसे आसानी से अपना सकेंगे।
यह एप्लिकेशन एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफार्मों पर काम करेगी। यह जनगणना आंकड़ों के प्रसंस्करण में समय को कम करेगी और परिणामों के समय पर प्रकाशन में मदद करेगी। पहली बार, किन्नर समुदाय के परिवारों से भी जानकारी एकत्र की जाएगी।
मोबाइल डेटा संग्रहण के साथ, Census Management and Monitoring System (CMMS) भी विकसित किया गया है, जो जनगणना कर्मचारियों की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
जनगणना का इतिहासभारत में जनगणना की शुरुआत 1872 में हुई थी। इसके बाद हर 10 वर्ष में जनगणना की प्रक्रिया नियमित रूप से होती रही है। कोविड-19 के कारण यह जनगणना स्थगित कर दी गई थी।
पहली जनगणना (1881): इस जनगणना ने ब्रिटिश भारत की जनसंख्यात्मक विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित किया।
दूसरी जनगणना (1891): यह जनगणना 100% कवरेज के प्रयासों के साथ आयोजित की गई थी।
तीसरी जनगणना (1901): इसमें बलूचिस्तान, राजपूताना और अन्य क्षेत्रों को शामिल किया गया था।
पाँचवीं जनगणना (1921): इस दशक में जनसंख्या में गिरावट देखी गई थी।
ग्यारहवीं जनगणना (1971): यह स्वतंत्रता के बाद की दूसरी जनगणना थी।
तेरहवीं जनगणना (1991): इस जनगणना में साक्षरता की अवधारणा को बदला गया।
चौदहवीं जनगणना (2001): इसमें तकनीकी प्रगति की गई थी।
पंद्रहवीं जनगणना (2011): इसमें कुछ राज्यों में गिरावट देखी गई थी।
सोलहवीं जनगणना (2021): इसे कोविड-19 के कारण स्थगित किया गया था।
जनगणना की विशेषताएं:भारतीय जनगणना जनसंख्या, आर्थिक गतिविधियों, साक्षरता, आवास, और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक आंकड़ों का सबसे विश्वसनीय स्रोत है।
भारत सरकार इस प्रक्रिया का संचालन करती है, जिसमें प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी होती है कि जनगणना सुचारू रूप से हो।
जनगणना के चरण
गृह-सूचीकरण और आवास जनगणना, जनसंख्या गणना।
गृह-सूचीकरण का मुख्य उद्देश्य सभी संरचनाओं और परिवारों को सूचीबद्ध करना है। 2011 की जनगणना के लिए यह प्रक्रिया 2010 में की गई थी।
सूचना की गोपनीयता: जनगणना के दौरान एकत्र की गई जानकारी गोपनीय होती है। जनगणना अधिनियम, 1948 द्वारा गोपनीयता की गारंटी दी जाती है।
जनगणना और SECC के बीच अंतर: जनगणना जनसंख्या का मानचित्र प्रदान करती है, जबकि SECC लाभार्थियों की पहचान का उपकरण है।
पूछे जाने वाले सवालकेंद्र सरकार ने जनगणना के लिए 31 सवालों की सूची तैयार की है। इनमें परिवार के सदस्यों की संख्या, परिवार की मुखिया का लिंग, और आवासीय सुविधाओं से संबंधित सवाल शामिल हैं।
- परिवार में कुल सदस्य कितने हैं?
- क्या परिवार की मुखिया एक महिला है?
- परिवार के पास कितने कमरे हैं?
- क्या स्कूटर, बाइक या कार है?
- क्या टेलीफोन या मोबाइल फोन है?
इसके अलावा शिक्षा और स्वच्छता से जुड़े अन्य प्रश्न भी पूछे जाएंगे।
धार्मिक जनसंख्या का आंकड़ा2011 की जनगणना के अनुसार:
- हिंदू: 79.8%
- मुस्लिम: 14.2%
- ईसाई: 2.3%
- सिख: 1.7%
जातीय जनगणना की आवश्यकता ओबीसी और अन्य वर्गों की वास्तविक संख्या और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए है। इससे आरक्षण नीति में सुधार होगा।
समर्थन में तर्कजातीय जनगणना से ओबीसी और अन्य वर्गों की स्थिति का सही आकलन होगा, जिससे सरकार को योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
विरोध में तर्ककुछ लोग मानते हैं कि जातीय जनगणना से समाज में जातीय विभाजन बढ़ सकता है।
जातिगत जनगणना एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन यह समानता आधारित नीति निर्माण में सहायक हो सकती है। सरकार को इसे संतुलित और निष्पक्ष तरीके से लागू करना होगा।
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